रायपुर सेंट्रल जेल में हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे एक कैदी को जेल प्रशासन ने रिहा कर दिया। गलती का अहसास होने पर उसे दोबारा जेल भेज दिया। उसे 14 साल पहले हत्या के केस में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। खबर में आगे पढें जेल प्रशासन से कैसे हुई गलती।
( कालाहीरा न्यूज )
- सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा कैदी हुआ रिहा
- गलती का एहसास होने पर पुलिस दोबारा पकड़ कर ले गई
- वारंट पढ़ने में कर्मचारी से हुई थी गलती
रायपुर।सेंट्रल जेल में लापरवाही का एक बड़ा कारनामा सामने आया है। हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे बलौदाबाजार जिले के महावीर को जेल प्रशासन ने रिहा कर दिया, लेकिन गलती का अहसास होने पर आठ दिन बाद उसे दोबारा जेल भेज दिया।
कैदी की सजा माफी के प्रस्ताव को राज्य सरकार ने अमान्य कर दिया था। बावजूद उसे रिहा कर दिया गया था। जेल अधीक्षक अमित शांडिल्य ने बताया कि कैदी की त्रुटिपूर्वक रिहाई जेल से कर दी गई थी। घटनाक्रम की जांच की जा रही है। जांच में जिस अधिकारी-कर्मचारी की लापरवाही सामने आयेगी, उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
वारंट पढ़ने में कर्मचारी की गलती
बताया जा रहा कि वारंट पढ़ने में वारंट शाखा के कर्मचारी की गलती से ऐसा हुआ था। ‘रिहा नहीं किया जा सकता’ वाक्य में ‘नहीं’ शब्द धुंधला था, इसलिए उस शब्द पर नजर नहीं जा पाई। इसी गफलत में कैदी को रिहा कर दिया गया। गिरोधपुरी के पास मड़वा गांव निवासी महावीर को 14 साल पहले हत्या के केस में कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
फिर पकड़ ले गई पुलिस
कैदी की पत्नी यमुना बाई का आरोप है कि जेल से छूटने के आठ दिन बाद कुछ लोग घर पहुंचे और बिना कोई कारण बताए उनके पति को अपने साथ ले गए। घर वालों को लगा कि बलौदाबाजार हिंसा में बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां हो रही हैं, उसी के धोखे में सिविल ड्रेस में पुलिस आकर ले गई होगी।
स्वजनों ने मोबाइल लगाया तो वह बंद मिला। फिर बलौदा बाजार के कोतवाली पुलिस थाने में संपर्क करने पर बताया गया कि इस नाम का कोई भी आरोपित नहीं पकड़ा गया। परेशान परिजनों ने नाते-रिश्तेदारों के घर पतासाजी की। इसी बीच पता चला कि महावीर को फिर से रायपुर जेल में डाल दिया गया है।