Home » छत्तीसगढ » बिलासपुर » करोड़ों के शराब घोटाले में शामिल 29 आबकारी अधिकारियों की हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका की ख़ारिज, क्या अब होगी गिरफ्तारी..?

करोड़ों के शराब घोटाले में शामिल 29 आबकारी अधिकारियों की हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका की  ख़ारिज, क्या अब होगी गिरफ्तारी..?

(कालाहीरा न्यूज)

बिलासपुर।छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने प्रदेश के 3200 करोड़ के शराब घोटाले में शामिल 29 आबकारी अधिकारियों की अग्रिम जमानत ख़ारिज कर दी है, अब ये अफसर गिरफ्तार होंगे या नहीं, इसे लेकर कयासों का दौर जारी है।

2019 से 2023 के बीच, छत्तीसगढ़ के 15 बड़े जिलों में आबकारी विभाग के अधिकारियों, डिस्टलरी, ट्रांसपोर्टरों, सेल्समैन, सुपरवाइजरों, और मैनपावर एजेंसियों के कर्मचारियों के एक संगठित सिंडिकेट ने बी-पार्ट शराब (बिना ड्यूटी चुकाई गई देसी शराब) की अवैध बिक्री की। बस्तर और सरगुजा संभाग को छोड़कर, अधिक खपत वाले जिलों में डिस्टलरी से सीधे अवैध शराब सरकारी दुकानों में भेजी जाती थी, जिसे वैध शराब के साथ समानांतर बेचा जाता था।



इस नेटवर्क ने 3200 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला किया, जो पहले 2174 करोड़ रुपये अनुमानित था। EOW और ACB की जांच में 60,50,950 पेटी बी-पार्ट शराब की अवैध बिक्री का खुलासा हुआ।13 लोग किए जा चुके गिरफ्तार इस घोटाले में अब तक 13 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जिनमें प्रमुख नाम हैं: अनिल टुटेजा (पूर्व IAS): आबकारी विभाग में गड़बड़ी और लाइसेंस सिस्टम में हेरफेर का आरोपी। अनवर ढेबर (रायपुर के मेयर एजाज ढेबर का भाई): सिंडिकेट का मास्टरमाइंड, जिसे 90 करोड़ रुपये का कमीशन मिला। अरुणपति त्रिपाठी (CSMCL के पूर्व MD): 2019 में नीति बदलाव के बाद भ्रष्टाचार में शामिल। कवासी लखमा (पूर्व आबकारी मंत्री): जांच में उनके संरक्षण में घोटाला होने और 64 करोड़ रुपये की अवैध कमाई का खुलासा। उन्हें 15 जनवरी 2025 को ED ने गिरफ्तार किया था। विजय भाटिया (शराब कारोबारी): अवैध सप्लाई में शामिल। चैतन्य बघेल (पूर्व CM भूपेश बघेल का बेटा): हाल ही में ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया। उनकी कंपनी विठ्ठल ग्रीन को सहेली ज्वेलर्स नामक शेल कंपनी से 5 करोड़ रुपये मिले।


EOW की कार्रवाई: 7 जुलाई 2025 को EOW ने 29 आबकारी अधिकारियों के खिलाफ 2300 पन्नों का चालान दाखिल किया, जिसमें कवासी लखमा की भूमिका और 18 करोड़ रुपये के अवैध निवेश के सबूत शामिल हैं। 11 जुलाई को 22 अधिकारियों को निलंबित किया गया। ED की कार्रवाई: 18 नवंबर 2022 को PMLA एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया। ED की 13,000 पन्नों की चार्जशीट में 2161 करोड़ रुपये के घोटाले का जिक्र था, जो अब 3200 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। ED ने 205 करोड़ रुपये की संपत्ति भी अटैच की है। हालिया , रायपुर की जिला अदालत ने 22 आबकारी अधिकारियों की अग्रिम जमानत याचिकाएं 18 जुलाई 2025 को खारिज कर दी थी , जिससे उनकी गिरफ्तारी का खतरा बढ़ गया था लेकिन आरोपी अफसरों ने बचाओ के लिए हाई कोर्ट का रुख किया था। अब उन्हे हाई कोर्ट से भी धक्का लगा है, 2018 में आबकारी नीति में बदलाव के बाद, CSMCL (छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड) के जरिए शराब बिक्री शुरू की गई। 2019 में अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को MD बनवाकर सिंडिकेट के जरिए भ्रष्टाचार को अंजाम दिया। इस नेटवर्क में: बी-पार्ट शराब को बिना ड्यूटी चुकाए बेचा गया। मोटा कमीशन देने वाले निर्माताओं से ही शराब खरीदी गई। अवैध कमाई को रियल एस्टेट और शेल कंपनियों (जैसे सहेली ज्वेलर्स) के जरिए निवेश किया गया। EOW/ACB की जांच में विदेशी शराब कमीशन, धन शोधन और राजनीतिक संरक्षण की परतें खुल रही हैं। 88 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति बनाने का भी खुलासा हुआ है।

Kala Hira
Author: Kala Hira

[posts_like_dislike id=post_id]

RELATED LATEST NEWS

Top Headlines

छत्तीसगढ़ में सरकारी आदेश पर बवाल: पढ़ाने के साथ आवारा कुत्तों की निगरानी करेंगे शिक्षक, संघ ने जताई नाराजगी।

(कालाहीरा न्यूज़ ) रायपुर: छत्तीसगढ़ में अब शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ स्कूल के आसपास घूमने वाले आवारा कुत्तों पर