(कलाहीरा न्यूज)
दीपका।गेवरा दीपका ही नहीं बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में करवा चौथ का चांद नहीं दिखने से व्रतियों में जहां निराशा दिखाई दी और व्रत तोड़ दिये है वहीं अभी भी कुछ व्रतियों को चांद का इंतजार है।
बदली के कारण आज चांद छिप गया है। महिलाएं अन्य शहरों में अपने परिचितों रिश्तेदारों को फोन कर चांद दिखा की नहीं पता लगा रहे है।
करवा चौथ का चांद देश के कुछ हिस्सों में दिखाई देने लगा है। करवा चौथ के दिन चंद्रोदय का अधिक महत्व होता है। इस दिन व्रती स्त्रियों को चंद्रमा का बेसब्री से इंतजार रहता है। आज चंद्र दर्शन करना जरूरी माना जाता है। भारत के सभी राज्यों में चंद्रमा अलग-अलग समय पर उदित होता है। इस समय में ज्यादा फर्क नहीं होता है। चांद के दर्शन देश के लगभग सभी हिस्सों में हो गए हैं। इस दिन चंद्रमा को सीधे नहीं देखना चाहिए। क्योंकि ऐसा करना वर्जित माना गया है। कहा जाता है कि इस दिन किसी न किसी की आड़ में चंद्रमा का दर्शन करना चाहिए। इसके अलावा यह भी कहा जाता है की चलनी से अपने पति के मुख को देखने से चलनी में सैकड़ो छेद की तरह पति की सैकड़ों वर्ष की उम्र होती है। प्रखंड क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर यह पर्व मनाया जाता है। सभी उपवास रखने वाली महिलाएं रात में चांद को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथ से पानी पीकर ही अपना व्रत खोलती हैं। कार्तिक कृष्ण चौथ व्रत को संकष्टी गणेश चौथ व्रत भी कहते हैं। इस व्रत के प्रधान देवता श्री गणेश हैं। इस पावन दिन गणपति को लड्डु का भोग लगाना चाहिए। गणपति पूजन में तुलसी का प्रयोग उचित नहीं है। जबकि दुभ्भी (घास) और बेलपत्र गणेश पर जरूर चढ़ाना चाहिए। लोकाचार के अंतर्गत चांद को चलनी से देखने और पति के हाथ से जल पीने की परंपरा है। गणपति मंत्र का जाप और गणपति अथर्वशीर्ष पाठ कर गणेश से दसों दिशाओं से रक्षा करने की कामना करनी चाहिए।