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नहीं रहीं ‘महतो परिवार’की दीदी “भगवती दीदी”

✍️श्रद्धांजलि लेख

जीवन अनिश्चित है, लेकिन एक मां का स्नेह और आशीर्वाद अमर रहता है। हमारी पूजनीय भगवती दीदी माँ, दादी, परदादी होते हुवे भी हम सब की पुरे परिवार की दीदी थी।
मुझे अच्छी तरह याद है लगभग 35 बरस पहले उनके घर के पास खेलते कूदते प्यास लगती थी तो पीने के लिए पानी मांगते थे। बड़कादाई पानी दे तो
वह पानी देती और बोलती
मोला दीदी कहे करा अपने सभी नातियों से यही कहा करती थी तबसे लेकर आज तक सभी बच्चे उन्हें दादी पर दादी नहीं सिर्फ दीदी कहकर सम्बोधित करते रहे रहने को तो वह हमारे दादा की बहन थी उनके परिवार के छोटे भाइयो ने उन्हें दीदी कहकर बुलाया, उनके बच्चे याने हमारे पिताजी चाचाजी सब की बुआ याने दीदी, हमारे पीढ़ी के भाई बहन भी दीदी से ही सम्बोधित किये यही नहीं मेरे भी बच्चे उन्हें दीदी कहकर बात करते रहे।
यह तो रही महतो परिवार की बात।
परिवार ही नहीं बल्कि गांव की भी आप दीदी थी।
गांव में ऐसा कोई पल नहीं रहा होगा जब परिवार में कोई कार्यक्रम हो और वहां परंपराओं और रीति रिवाज के निर्वहन के लिए दीदी को याद नहीं किया जाता रहा होगा।
चाहे वह छट्ठी हो बरही हो, शादी ब्याह हो, फलदान, दरबरा हो या अन्य कोई पूजा पाठ भागवत, कथा हो या दुख का कार्य एक ही आवाज आती थी भगवती दीदी कहां है।
क्योंकि सारे नियम कायदे रीती रिवाज, परम्परा सिखाने वाली प्रेम दीदी और भगवती दीदी ही थी।
| भगवती दीदी का कल देहांत हो गया हमेशा के लिए हमारी यादों को प्यार से याद करूंगा।” “आपके नुकसान की खबर सुनकर मुझे जो महसूस हुआ, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। आप भले ही इस जंहा से चली गयी हो, लेकिन आपकी यादें हमेशा ज़िंदा रहेंगी।
कुछ साल पहले प्रयागराज मे आपने बच्चो की तरह मेरा हाथ पकड़कर संगम स्नान किया था वह पल मेरे लिए जीवनपर्यंत अविस्मरणीय रहेगा।

आपका
मनोज महतो
महतो परिवार

Kala Hira
Author: Kala Hira

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