दिल्ली में फिर निर्भया जैसा कांड दोहराया गया है। तीन दरिंदों ने 34 वर्षीय युवती के साथ हैवानियत की सभी हदें पार कर दीं। पुलिस ने इस मामले में 25 दिन की कड़ी मेहनत के बाद तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। एक नौसेना अधिकारी को युवती सड़क किनारे खून से लथपथ हालत में मिली थी। आगे विस्तार से जानिए पूरा मामला क्या है।
(कालाहीरा न्यूज)
देश की राजधानी दिल्ली में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। क्योंकि कदम-कदम पर दरिंदे खड़े है। यह सवाल इसलिए उठ रहा है। क्योंकि राजधानी में एक बार फिर से निर्भया कांड दोहराया गया। दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के सराय काले खां में एक 34 वर्षीय युवती के साथ दरिंदगी की हदें पार कर दी गईं। तीन दरिंदों ने युवती के साथ बारी-बारी से सामूहिक दुष्कर्म किया।
इसके बाद उसे सड़क किनारे फेंककर आरोपी फरार हो गए। बताया गया कि गंभीर हालत में सड़क किनारे पड़ी युवती को एक ऑटो चालक ने भी राजघाट के पास ले जाकर दुष्कर्म किया। इसके बाद ऑटो चालक भी वहां से फरार हो गया। युवती के निजी अंगों से खून बहता रहा, लेकिन किसी का भी युवती को देखकर दिल नहीं पसीजा।
अब इस मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास से एक टेंपो पर भी बरामद किया गया है। यह घटना 11 अक्टूबर की रात की है। आइए आपको आगे बताते हैं कि इस घटना में शुरू से आखिर तक क्या-क्या हुआ?
नौसेना के अधिकारी ने युवती को पहुंचाया था अस्पताल
पुलिस के मुताबाकि, 11 अक्टूबर की रात (12 अक्टूबर तड़के) करीब साढ़े तीन बजे एक नौसेना के अधिकारी सराय काले खां रोड से गुजर रहे थे। इसी दौरान उनकी नजर एक युवती पर पड़ी। युवती बेसुध अवस्था में सड़क किनारे पड़ी थी। नौसेना अधिकी उसके पास गए तो वह खून से लथपथ थी। इसके बाद नौसेना अधिकारी ने पुलिस को सूचना दी और युवती को अस्पताल पहुंचा।
गुरदीन का बेटा प्रमोद उर्फ बाबू निवासी 92, सेक्टर ए-6, पॉकेट-4, नरेला, नई दिल्ली। स्थायी पता ग्राम अमरतर, तहसील अकबरपुर, जिला अंबेडकर नगर, उत्तर प्रदेश।
मोहम्मद खलील का पुत्र मोहम्मद शमसुल उर्फ राजू निवाली गली नंबर 5, गुरुद्वारा वाली गली, गांधी नगर, नई दिल्ली में रहता है। उसका स्थायी पता ग्राम बकरी सलोना, पी.एस. है। बकरीसलोना, जिला बेगुसराय, बिहार। 29 साल का शमसुल भीख मांगने का काम करता है। शमसुल 3-4 साल पहले आजीविका के लिए दिल्ली आया था और उसका एक बच्चा भी है।
बहुत कठिन था यह केस सुलझाना
यह एक ऐसा मामला था, जिसमें कोई प्रारंभिक सुराग नहीं था। क्योंकि न केवल आरोपी का विवरण बल्कि घटना का सही समय और स्थान भी पुलिस को नहीं पता था। इसके अलावा पीड़िता अपनी मानसिक बीमारी के कारण जांच में सहायता नहीं कर सकती थी।
खुलासे के लिए बनाई गई थीं 10 टीमें
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस विभाग ने केस को सुलझाने के लिए पुलिस की 10 टीमें गठित की थी। इस टीम में एसआई शुभम चौधरी, एसआई दीप्ति चौधरी, एसआई जीतेंद्र, एसआई विनोद कुमार, एसआई राजबीर सिंह, एएसआई रूप सिंह शामिल हैं।
इनके अलावा एसई, एएसआई सुलेमुद्दीन, एएसआई शरवन, एएसआई धीर सिंह, एचसी महेंद्र, एचसी राजेश, एचसी नीरज, संगीता और सीटी देबानंद शामिल थे। इस मामले को सुलझाने की जिम्मेदारी भी राजेंद्र सिंह डागर को दी गई थी।