(कालाहीरा न्यूज )
कोरबा। शहर को कोयलांचल क्षेत्र से जोड़ने वाली कोरबा-कुसमुंडा टू-लेन सड़क की तस्वीर अब बदल गई है। सर्वमंगला चौक से इमलीछापर चौक तक 5 किलोमीटर लंबी सड़क में करीब साढ़े 4 किलोमीटर का हिस्सा फोरलेन में बदल चुका है। बरमपुर नहर पर ब्रिज का निर्माण, ओवर बर्डन पुल के पास सड़क का काम व अंतिम छोर इमलीछापर के पास सीसी सड़क का कार्य समेत कई स्थानों पर डिवाइडर का काम अधूरा है। एक तरह से बरमपुर के आसपास ब्रिज निर्माण को छोड़ दिया जाए तो फोरलेन लगभग पूर्णत: की ओर है।
फोरलेन बनने से पहले लगता था कि शहर से कुसमुंडा की ओर आवाजाही में राहत होगी, लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए उल्टे यह आफत लगने लगी है। फोरलेन पर आना-जाना एक तरह से जान की बाजी लगाने जैसा है, क्योंकि सड़क पर कई जगह अधूरे निर्माण है, जिससे अक्सर वाहन चालकों को धोखा हो जाता है। वहीं फोरलेन किनारे कीचड़ तो सड़क पर धूल की परत जम गई है। ऊपर से 24 घंटे कोयला परिवहन में लगे वाहनों की आवाजाही होने से इमलीछापर से लेकर सर्वमंगला पुल तक धूल का गुबार छाया रहता है। इस दौरान परेशानियों के बीच लोग लोग फोरलेन पर सफर करते हैं। दोपहिया में सवार होकर आवाजाही करने वाले लोगों को ज्यादा परेशानी होती है।
200 करोड़ रु. की लागत से होना है 27 किलोमीटर की सड़क का निर्माण
एसईसीएल के सीएसआर मद से 200 करोड़ की लागत से सर्वमंगला चौक से इमलीछापर चौक, हरदीबाजार से तरदा व तरदा से सर्वमंगला चौक तक करीब 27 किलोमीटर सड़क का निर्माण होना है। तरदा से सर्वमंगला चौक तक बनने वाले टू-लेन सड़क सर्वमंगला मंदिर के पीछे तक बन चुका है। जहां नई रेलवे लाइन आ जाने से टू-लेन सड़क का रूट परिवर्तित हो गया है, जिसका निर्माण कार्य चल रहा है। वहीं शहर के सर्वमंगला चौक से कुसमुंडा के इमलीछापर चौक तक 5 किलोमीटर लंबी सड़क को 80 मीटर चौड़ी सीसी सड़क बनाते हुए बीच में डिवाइडर देकर फोरलेन बनाया गया है। निर्माण महाराष्ट्र के नागपुर की एक फर्म कर रही है।
तो एक साल पहले हो जाता तैयार
फोरलेन का निर्माण एक साल पहले ही पूरा हो जाता, लेकिन फंड समय पर जारी नहीं होने व निर्माण गति धीमी होने की वजह से अब तक बरमपुर के पास नहर के ऊपर ब्रिज व कई जगह सीसी सड़क व डिवाइडर निर्माण बाकी है। रोजाना 1000 भारी वाहन, 10 हजार राहगीर शहर से कुसमुंडा की ओर रोजाना 1 हजार भारी वाहन आवाजाही करते हैं, जो कुसमुंडा से कोरबा से कुसमुंडा रोड पर रोजाना 1500 भारी वाहन चलते हैं। इसके अलावा चार पहिया व हल्के वाहन में प्रतिदिन करीब 10 हजार राहगीर आवाजाही करते हैं। जिसमें ज्यादातर लोग कुसमुंडा, गेवरा-दीपका, हरदीबाजार व बांकीमोंगरा समेत आसपास क्षेत्र के निवासी है।
कोयलाचंल को शहर से जोड़ने की एकमात्र सड़क
कोयलाचंल को शहर से जोड़ने की एकमात्र सड़क होने से सभी लोग अब फोरलेन से ही गुजरते हैं। सड़क पर जमे धूल की सफाई नहीं होने से धूल के गुबार से राहगीर हलाकान है। ढाई दशक बाद बदली सड़क की सूरत कोरबा शहर को कुसमुंडा से जोड़ने वाली टू-लेन सड़क को ढाई दशक पहले एसईसीएल ने बनवाया था। 2 दशक के दौरान कुसमुंडा समेत गेवरा-दीपका समेत क्षेत्र के अन्य खदानों में उत्पादन बढ़ने से भारी वाहनों का दबाव भी बढ़ गया। ऐसे में सड़क खस्ताहाल होता गया। जाम की स्थिति भी रहने लगी। जनप्रतिनिधियों के प्रयास से करीब 6 साल पहले कोरबा-कुसमुंडा सड़क को फोरलेन बनाने के प्रस्ताव को एसईसीएल के मुख्यालय से स्वीकृति मिली। करीब 3 साल पहले निर्माण कार्य शुरू हुआ और अब सड़क की सूरत फोरलेन के रूप में बदल गई है।